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अक्सर हम जाया करते थे बगीचों में,
अब हमने गुलाब को निहारना छोड़ दिया;
हमारा दिल अब भी तुझे सोचता हो,
पर दिमाग ने तुझे अपना कहना छोड़ दिया;
हो ना हो मिलेंगे फिर हम तेरे बाजार में,
पर हमने गैरों पर कीमत लगाना छोड़ दिया;
आज हुई फिर बारिश दिल के दिल्ली में,
पर हमने इश्क में नहाना छोड़ दिया
अब हमने गुलाब को निहारना छोड़ दिया;
हमारा दिल अब भी तुझे सोचता हो,
पर दिमाग ने तुझे अपना कहना छोड़ दिया;
हो ना हो मिलेंगे फिर हम तेरे बाजार में,
पर हमने गैरों पर कीमत लगाना छोड़ दिया;
आज हुई फिर बारिश दिल के दिल्ली में,
पर हमने इश्क में नहाना छोड़ दिया
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