
0 Bookmarks 50 Reads0 Likes
कहाँ से मैं आया कहाँ मुझको जाना दुनियाँ में अपना न कोई ठिकाना कहाँ घर बनाएं कहाँ दिल लगाएं ये सपनों का संसार कहाँ पर बसाए साथी न अपना सहारा न कोई किस के सहारे मैं दुनियाँ सजाऊ शहर ढूढता हूँ गली ढूढता हूँ मैं हर मोड़ पर अब तुम्हे देखता हूँ बता दो प्रभू कोई अपना ठिकाना कहाँ मुझको जाना, कहाँ मुझको जाना अपना पराया ये सबकुछ मिटा दो &nb
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments