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कि शायद उसको मेरा प्यार अब अच्छा नहीं लगता
मैं जो कल तक था उस का यार अब अच्छा नहीं लगता
कशीदे था पढ़ा करता कभी मेरी वफ़ा के जो
मुझे कहता तिरा किरदार अब अच्छा नहीं लगता
अरे जो बे-वजह लड़़ता कि उस को हम मना लेंगे
सुनो करना उसे तकरार अब अच्छा नहीं लगता
कभी हर शे'र पर हम को ख़ुशी से दाद देता था
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