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हिस्से में कभी मेरे दिलकश ये नज़ारा था

Sohil QuraishiSohil Quraishi February 13, 2023
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हिस्से में कभी मेरे दिलकश ये नज़ारा था

इक मह-जबीं की मेंहदी में नाम हमारा था



जो कहता था महशर में भी साथ न छोड़ेगा

वो छोड़ गया तब जब गर्दिश में सितारा था



अब बरसों मुलाकातें ही उस से नहीं होतीं

जिस शख़्स बिना अपना पल भर न गुज़ारा था





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