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विकल्प ही किधर है

suresh kumar guptasuresh kumar gupta March 6, 2023
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नादान ही तो है वे पूछते रहे
तो और विकल्प ही किधर है

भुला बैठें वे आस्तिकता को
या नियति का कानून भूलते

यहां रास्ते इंसान नही बनाते
ना कोई भावी को देख पाया

पर्वत से निकल पडे सरिता
रास्ते तो बहाव तय करता है

देखते गुमराह तो नही हो रहे
कौन रास्ते भटकाने में लगे है

वह तो इतिहास ही झुठलाते
आगे रास्ते समय ने बनाए है

नियति एक रास्ता बन्द करे
और रास्ते खुलते ही जाते है

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