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तुम्हारी नियति

suresh kumar guptasuresh kumar gupta April 18, 2023
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तेरी औकात क्या है तू इन पैरों की जूती है
ठाकुरों की बस्ती है जरा अदब से चला कर

ज्यादा पुराना नही है सुदूर गांवों का सीन है
हिन्दू हो हिन्दू बने रहो ये तुम्हारी तकदीर है

कैसे अकड़ चलता है औकात को याद रख 
थोड़ा झुककर अदा से कोर्निश बजाया कर

आधुनिक परिधान में एए किधर घुस आया 
धोती  गमछा अंगरखा सिर टोपी पगड़ी रहे

कैसे हिंदू बहन बेटियाँ सड़को पे निकलेगी

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