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कृष्णलीला का अंतिम चरण कगार पर था
यदुओ की उद्दंडता कृष्ण को अहसास था
महाभारत के बाद यदुवंश का साहस बढा
इस ट्रोल सैना का शिकार हर कोई हो रहा
ऋषि दुर्वासा से मजाक करने का मन बना
अहंवश बालक ट्रोल करने का साहस करे
एक दिन साम्ब को स्त्री वेश में सजा लाए
मूसल बांध गर्भवती बना ऋषि समक्ष लाए
ऋषिवर ये कजरारे नैनों वाली गर्भवती है
कुछ पूछना चाहती है लेकिन सकुचाती है
प्रसव समय निकट आ रहा आप सर्वज्ञ हैं
ऋषि बताइए कोख में कन्या या बालक है
इस मजाक पर ऋषि दुर्वासा क्रोधित हुए
बोले जो यदुवंश का नाश करे ये मूसल है
ऋषि वचन सुनकर सब किशोर डर गए
तुरंत साम्ब के पेट से मूसल निकाल बैठे
राजा उग्रसेन को जब घटना बताई गयी
मूसल का चूरा बना समुद्र में फिंकवाया
चूरा लहरों में बह समुद्र के किनारे आया
कुछ दिनो में वहां बहुत घास उग आया
यदुवंशी प्रभास में उत्सव के लिए आये
उत्सव हर्ष में सब नशीली मदिरा पी बैठे
घास उखाड़ वे एक-दूसरे को मारने लगे
यदुवंश की बर्बादी अंत का कारण हुआ
चाणक्य नही जो उसमे मट्ठा डाल पाता
ट्रोल का अंजाम बहुत ही वीभस्त हुआ
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