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घर मे रहते है चार लोग चारो बिजी रहते है।
आपस मे नही बतियाते वैश्विक चेट करते है।
मुस्कान उदासी खुशी आँसू सब छोटे हो गए।
बदल गए है सारे एक ईमोजी में सिकुड़ गए।
जनता सता विपक्ष मीडिया सब दुखी होते है।
सच झूठ का कॉकटेल ये हर घड़ी फैलाते है।
बिना तीर कमान सब शिकार करने लगते है।
त्रस्त होने लगते है सभी जब शिकार होते है।
दुश्मन भी ऐसा है सबकी आंख का तारा है।
तू कहाँ ढूढता है बंदे तेरी जेब मे वो रहता है।
घरबार छीना यार पड़ोस की याद दिलाता है।
कोई रूप में हो सोशल मीडिया कहलाता है।
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