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पर्वत कंदराओं में एकाकी विचरण कर रहे
तमाल वन निकुंज में सिद्ध उद्गार बता रहे
दृष्टा दृश्य संयोग से सहज आनंद प्रकट हो
समाधि में विशुद्ध आत्मा की उपासना करें
जब दृष्टा दर्शन दृश्य त्रिपुटी का त्याग करे
प्रकाशित हो विशुद्ध ज्ञान की उपासना करें
अस्ति नास्ति के मध्य साक्षीरूप विद्यमान
प्रकाशनीय उस प्रकाश की उपासना करें
जिसमे जिसका जिसके लिये जिसके द्वारा
जिससे जो स्वयं उस सत्य की उपासना करे
अकार हकार वर्णों में निरंतर उच्चारित होते
उस आत्मरूप परमात्मा की उपासना करे
सम्पूर्ण आशात्याग से विषवल्लरी जड़ काटे
प्रकट होते हृदयस्थित ब्रह्म की उपासना करे
इंद्रिय सर्प को विवेक रूपी डंडे से प्रहार कर
मनोनिग्रह संपन्न विशुद्ध चित्त ही परमानंद है
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