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सारथी हुआ है मन

suresh kumar guptasuresh kumar gupta May 7, 2023
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इस तन के रथ में जीवात्मा रथी जान
तन मेरा रथ हुआ सारथी हुआ है मन

सृष्टि मायाजाल आत्मा परमात्मा एक 
गम और वैभव भोगता जा रहा है मन

इंद्रियां रूपी घोड़े जुते है खींच रहे रथ
रथ चला रहा है सारथी हुआ यह मन

संयम चाबुक से जो नियंत्रित करे मन
आत्मा को गन्तव्य पहुंचा आता मन 

मन ही हितेषी होता मन ही शत्रु जान
विषय विष से इंद्रियां जाती है भटक 

मोहमाया का जाल होता मन के हाथ
इंद्रियां को अहंकार मद पिलाता मन

मानव की कामनाएं होती उसके वश 
मानव मदहोश करता है पाखंडी मन

काबू कर जाता प्राणी जो अपना मन
परमात्म दर्शन देखता अपने अंतर्मन

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