सपने टूटते जा रहे है's image
Poetry2 min read

सपने टूटते जा रहे है

suresh kumar guptasuresh kumar gupta February 27, 2023
Share0 Bookmarks 42737 Reads0 Likes


पहुंच तो गए है एक अंधेरी सी सुरंग में 

जिसका न कोई ओर है न कोई छोर है


झुरमुट अंधियारा बेखौफ फैलता रहा है

और आसपास करीब झांकते जा रहे है


सपनो की दुनिया हमें कहां ले आयी है

स्वप्न विहीन अंधियारा छाता जा रहा है


निशा घनी निद्रा आंखों से कोसो दूर है 

पैरो की बेड़ियां जैसे सपने थाम रही है 


लगता है भोर क्षितिज में नजर न आए

कि कदम थकने लगे मन हारने लगा है


कभी निकल नही पाऐंगे इन बेड़ियो से

कि भूख का सवाल सदा पहले रहा है


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts