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संसद एक मंदिर है

suresh kumar guptasuresh kumar gupta March 29, 2023
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खोल मुंह करिए वंदना जयकारा लगाइए
न शोर न तख्तियां हो न ज्यादा बतियाईए

संसद एक मंदिर है जहां गरिमा प्रधान है
आइए इस मंदिर में सिर झुकाकर आइए

रहो मूरत के समक्ष आंख मूंद बैठ जाइए
बोलने का मन हो मन ही मन गुनगुनाइए<

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