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निकले है कफन बांध जीत मिलना तय था।
जो आएगा राह में उसका उखड़ना तय था।
तरकस में तीर कम नही एक एक निकाले।
समय उलट चल रहा गड्ढे से कौन निकाले।
राम राम करते रह गए राम नही आए काम।
अल्लाह मुल्ला किया हिजाब रहा नाकाम।
जो राह में आ गया आतंकवादी होता गया।
सांड मगर राह में रोड़ा बनकर डटसा गया।
सांड टक्कर मारके दिन में तारे दिखा बैठा।
गाय को मां बनाया तो सांड बाप बन बैठा।
सांड आया सडको पर गयी पानी मे भैंस।
दुविधा में दोनों गए पलटता गया सब खेल।
#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित
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