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जीवन केल पौध सा परत दर परत चढ़ा
जिया जो पल वह नई परत चढाता गया
खट्टे मीठे पलो की मैं माला पिरोता गया
समीक्षा में परत दर परत उतार भी रहा
कहते है बुजुर्ग धर्म ग्रंथ शाश्वत सत्य है
जिसकी शिक्षा काल खंड में अक्षुण्ण है
समय बदलता रहा पर धर्म नही बदला
संकीर्ण मनोवृति ने धर्म का ह्रास किया
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