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सदा कुछ करने की चाहत को कभी दफ़नाओ
कभी शांत बैठ पल पल समय निहारते जाओ
याद रहेगा हर पल कभी अकेले में जिए जाओ
जीवन होगा वो हर पल अपने लिए जी जाओ
समय मिलता नही कोई कहे समय कटता नही
अपने लिए समय निकालो कायनात कह रही
साधन थे समय न मिला समय नही कहते रहे
समय जब मिल गया तो साधन खत्म होते गए
पैसे से हुकूमत मिली या हुकूमत पैसा ला रही
पैसे बढते गए पर वक्त की नजाकत भूल गए
न्यूज़ चैनल खरीद ली श्रोता कहां से लाओगे
वक्त इंसाफ मांगेगा वक्त कहाँ खरीद पाओगे
वक्त जब इंसाफ करेगा वक्त डराता जाएगा
वक्त शाहंशाह बनाता वक्त धूल में मिलाएगा
#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित
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