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मुर्गे ने मुर्गे से बोला बहुत लड़ लिए
समझ नही आया क्या झगड़ा भाई।
किसी ने पकड़ के पिंजरे से निकाला
आपस मे हम दोनों को भिड़ा डाला
हम नादान लड़ रहे लहूलुहान हो गए
छुड़ाने की पहल न करे बचाने न आये
दूर दूर से तमाशा देखते आंख सेक रहे
खून हमारा बहता आग में घी डाल रहे
खुशी की लिए लोगों के घर फूंक डाले
यह दुनिया है जालिमो की बस्ती भाई
हमारी जान लगी वे तमाशा बनाते रहे
हम लड़ते वे लड़ाने में जान लगाते रहे।
बहुत हुआ आओ बंद करे ये खूनी खेल
औरो की खुशी में क्यों घर जलाते जाए
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