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रोक लेना आंसु ये जलजला ले आएंगे
नही रोका तख्तोताज बहाते ले जाएंगे
रोक लेना तुम नारी बहन बेटी के आंसू
थाम लेना इनको मानवता बहा जाएंगे
अठारह अक्षोहिणी कौरव कुल संहारा
महाभारत रचा था द्रोपदी के आंसू बहे
न लंकेश बचा न त्रिपुरारी बचा पाए थे
ऐसा सैलाब जानकी के आंसू लाये थे
नारी अबला न जानो आंसू थाम लेना
जब जब पलटेंगे वजूद न बचा पाएंगे
मानवता झकझोरते निर्भया के आंसू
जलजले में अत्याचारी न बच पाए थे
आज पहलवानों के आंसू ललकारते
बाहुबली सत्ता सबको बहाने आए है
वक्त रहते पहचान लो इस सैलाब को
समाज मे आज इंसाफ मांगने आए है
#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित
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