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जिसने अपनी हस्ती को मिटाया है।
उसने ही रिश्ते में जीत को पाया है।
रिश्ते वो नाजुक धागों का महल है।
नही संभले उलझोगे भी टूटेगा भी।
रिश्ते का महासंग्राम एक आयाम है।
जहां जाना है हारकर जीत जाना है।
रिश्ते के दरिया में किसने पार पाया है
जिसने डूबना जाना पार कर पाया है।
रिश्ते बचाने क्या इतने आसान होते है
अपने को मार कर रिश्ते बचा पाते है।
रिश्ते बचाने मुश्किल भी नही होते है।
अपने को खोने से अपने मिल पाते है।
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