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कभी वोह एक राजा था जीता था महलो में।
आज वो जी रहा है, हर आदमी के दिलो में।
नजर आता है विश्व की महानतम सभ्यता में
रावण आज जिंदा हर आदमी के ख्वाबों में।
मार नही सकते इसे मनाते खुशिया जलाने में।
जानेंगे कब नही बसती जान बेजान पुतलो में।
हम संभाल कर रखते जतन से अपने दिलो में।
और मिलकर जिंदा रखते गाँव और शहरो में।
अहंकार है हर दिल का झाँककर देखे दिल में।
मरने नही देते इसे चूर होकर सत्ता के नशे में।
नही मर सकता कभी यह मानवता का दुश्मन।
बसता है दिल मे हर गली नुक्कड़ हर शहर में।
इंसान इंसान को दुश्मन बनाते अपने फायदे में।
भावनाओ को कुरेदते आते रावण की शक्ल में।
क्या फर्क पड़ता जातिवाद धर्मवाद नस्लवाद में।
समाज में बोएंगे जहर, किसी वाद की शक्ल में।
मसाल पकड़वा आग लगवायेगा अपने घरो में।
कंधों पर चढ़ शासित करेगा अपने अहंकार में।
लड़ते मरते इंसानो के बीच फर्क को तलाशेगा।
ऐसा नही हुआ तो फिर रावण कैसे जिंदा रहेगा
कौन कहता ट्रम्प हार गया वो हार सकता नही।
फिस्सडी नही जब 48 फीसदी जनता साथ मे।
रहेंगे रावण का मुखोटा लगाकर हम अहंकार में।
हवा देते रहेंगे अपने विचार को ट्रम्प के साथ में।
जहां नस्लवाद नही होगा आएगा जातिवाद में।
ये नही हुआ तो इज़ाद होगा और कोई वाद में।
रावण का जीना सार्थक है अगर सत्ता भोगने में।
सारी कायनात निकल पडे उसे सत्ता दिलाने में
आओ मिलकर कुछ करे इस चिंगारी को हवा दे।
और शोला बना दे और बदल दे इसे दावानल में
पहुंच न जाए आग घर गली शहर के मुहाने में।
अपने ही घर को स्वाहा करे ऐसा महान यज्ञ करे
कर दे ये जीवन अपना हर उसी रावण के नाम।
जो जिए सत्ता को पाने के लालच अहंकार में।
वो अपने सपनो का संसार बसा यहां जीता रहे
हम खुश हो जाये रावण बसता हमारे दिलो में।
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