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रामायण कथा प्रभु श्री सियाराम की
कथा रहस्य है महाग्रंथ महापुराण की
आत्मा भी है राम, परमात्मा राम की
कथा यह जगत्पति श्री सीताराम की
कथा है साकार रूप श्री भगवान की
कथा आत्मा परमात्मा के पहचान की
आत्मा इस जगत में विचरण करती है
विशुद्ध रूप परमात्म मिलन करती है
सत रज तमस मातृरूप सृष्टि रचते है
मात्रा का अंतर संसार रचना करता है
तीनो का परिमाण जब एक होता है
सृष्टि का उदभव प्रलयकाल होता है
श्रीराम जगत में साकार रूप आते है
मन हनुमानजी का रूप धर आते है
मन जब दास रूप में रहना होता है
मन जीवन मे आत्मकल्याण करता है
बल छोटा भाई लक्मन बनके आता है
जब हावी न हो बल कल्याण करता है
भक्ति रूप धर भरत कथा में आता है
निष्काम कर्म है भक्ति में त्याग रहता है
बुद्धि ही सीता का रूप बना आती है
जीवन के हर निर्णय में साथ निभाती है
जीवन मे अहंकार हावी होने लगता है
बुद्धि का साथ छूट उसका हरण होता है
आत्मा का जीवन शांत और श्रेष्ठ होता है
जब तक अहंकार प्रवेश न कर जाता है
अहंकार रावण जब जीवन मे आता है
बुद्धि रूपी सीता का हरण कर जाता है
अहंकार को मारकर बुद्धि जो लौटाता है
परम कल्याणी भक्ति जीवन मे पाता है
मगर भक्ति से जीवन सफल न होता है
परमलक्ष्य तो परमात्मा को पाना होता है
तब बुद्धि रूपी सीता का वनवास होता है
मोक्ष साधन में कर्म बुद्धि का त्याग होता है
बुद्धि छोडकर परमात्मा से मिलन होता है
यह जीवन का परम साधन मोक्ष होता है
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