राजधर्म निभाना है's image
Poetry2 min read

राजधर्म निभाना है

suresh kumar guptasuresh kumar gupta March 11, 2023
Share0 Bookmarks 21 Reads0 Likes

समय की बात एक योगी सदन में आया
सदन कमजोर हुआ सदन को ललकारा 

आवाज़ उठाई जनसेवा से सरोकार रहा
राजनीतिक पूर्वाग्रह का वो शिकार हुआ

सन्यास लिया घर छोडा तब सदन आया
आपराधी मामले घडे उसे मजबूर किया

सदन जब सांसद को संरक्षण न दे सके
वह सदन छोड़ने की इजाजत मांग बैठा

आरजू मिन्नते करे रो रोकर बेजार हुआ
सदन ने सर्वसम्मति से अभयदान दिया

सदा से कालचक्र परिवर्तनशील रहा है
कभी पीड़ित रहा आज सत्ताशीन हुआ  

योगी हो हर अश्क की कीमत जानी है
वक्त मांगता अश्क का कर्ज चुकाना है

धिक्कार वह पौरुष जिसने जुल्म ढाए 
धर्म स्वार्थ से ऊपर राजधर्म निभाना है

रियाया बुलडोज़र एनकाउंटर के साथ 
फिर कैसे निरीह आँखो में अश्रु दे जाए

कैसे कोई रोटी में नमक बच्चो को देता
कैसे रेप हो कैसे कोई गवाह मार जाए

तब तुम अकेले आज हर दर्द अकेला है
उठो आज हर अश्क तुम्हे पोंछ आना है








No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts