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राह बोझिल हो जाएगी

suresh kumar guptasuresh kumar gupta February 28, 2023
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ऊब जाओगे तुम राहे बोझिल हो जाएगी
रह पाए जो सरल दोस्ती सदा मुस्करायेगी

क्यों अकड़ बैठे हो बाबू टूटते चले जाओगे
रहे जो सरल खडी फसल से लहलहाओगे

क्यों बेमन से बैठे हो क्या तुम कर पाओगे
खुशी बांटो मिलेगी खुशी बटोर न पाओगे

आ ही गए हो जब दुश्मन की महफ़िल में
दुश्मनी विचार से हो दुश्मन मिटा जाओगे

जब तब झगड़ पडोगे मुंह फुलाते जाओगे
कौन करीब बिठायेगा अकेले हो जाओगे

बहता जाए जीवन सलिल जैसे निर्झर से
कौन रोड़ा बने कौन मंजिल रोक पायेगा

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