
Share0 Bookmarks 9 Reads0 Likes
ऊब जाओगे तुम राहे बोझिल हो जाएगी
रह पाए जो सरल दोस्ती सदा मुस्करायेगी
क्यों अकड़ बैठे हो बाबू टूटते चले जाओगे
रहे जो सरल खडी फसल से लहलहाओगे
क्यों बेमन से बैठे हो क्या तुम कर पाओगे
खुशी बांटो मिलेगी खुशी बटोर न पाओगे
आ ही गए हो जब दुश्मन की महफ़िल में
दुश्मनी विचार से हो दुश्मन मिटा जाओगे
जब तब झगड़ पडोगे मुंह फुलाते जाओगे
कौन करीब बिठायेगा अकेले हो जाओगे
बहता जाए जीवन सलिल जैसे निर्झर से
कौन रोड़ा बने कौन मंजिल रोक पायेगा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments