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आज फिर एक रावण मरा है
नीति अनीति पर संभाषण है
सब ओर इसी बात के चर्चे है
नही तो यह रावण मरता कैसे
अब एक सीता की बात नही
गली नुक्कड़ शिकार होता है
अपहरण का कारोबार होता
नही तो यह रावण मरता कैसे
यहां लंका समंदर पार नही है
कैसे कोई दरिंदा बड़ा होता है
कैसे नीति निर्माता बन जाता
नही तो यह रावण मरता कैसे
किसको इसकी जरूरत होती
कैसे वह तंत्र वश में करता है
कौन इसकी गोद में लेट जाता
नही तो यह रावण मरता कैसे
कौन इसकी संरक्षण में पलते
कानून में रह कानून चलाता है
सत्ता में रहकर कानून बनाता
नही तो यह रावण मरता कैसे
कानून जनता के लिए होते है
जनता मरने की दुआ करती है
मरता है जनता को राहत होती
नही तो यह रावण मरता कैसे
दरिंदे कटघरे तक नही पहुंचते
कैसे कानून घुटने टेक देता है
न्याय कानून अपनी जगह रहे
नही तो यह रावण मरता कैसे
कानून के संरक्षण में पलता है
सरगना कुत्ते की मौत मरता है
माफिया का ऐसा ही हश्र होता
नही तो यह रावण मरता कैसे
आंसू बहाते कानून की हत्या है
कानुन मरा तब यह पैदा हुआ
अब कानून का पुनर्जन्म हुआ
नही तो यह रावण मरता कैसे
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