Share0 Bookmarks 31746 Reads0 Likes
आज फिर एक रावण मरा है
नीति अनीति पर संभाषण है
सब ओर इसी बात के चर्चे है
नही तो यह रावण मरता कैसे
अब एक सीता की बात नही
गली नुक्कड़ शिकार होता है
अपहरण का कारोबार होता
नही तो यह रावण मरता कैसे
यहां लंका समंदर पार नही है
कैसे कोई दरिंदा बड़ा होता है
कैसे नीति निर्माता बन जाता
नही तो यह रावण मरता कैसे
किसको इसकी जरूरत होती
कैसे वह तंत्र वश में करता है
कौन इसकी गोद में लेट जाता
नही तो यह रावण मरता कैसे
कौन इसकी संरक्षण में पलते
कानून में रह कानून चलाता है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments