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देश में नेता महान अभिनेता होते है
कभी कवि लेखक तो शायर होते है
उनके आंसुओ पर आप हंस लेते है
उनकी हंसी से पर डरने भी लगते है
यह कॉमेडियन बाहर से ढूंढ लाते है
इनके शब्द ले लेकर हंसते हंसाते है
काश पार्लियामेंट में कॉमेडियन आते
चेहरो पर बस मुस्कराहट लाते जाते
हम इधर उधर पठान देखने न जाते
संसद सीरियल हॉल में ही देख पाते
महंगाई बेरोजगारी याद भी न आती
हर रोज बस ताज़ा कॉमेडी ही होती
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