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परमात्म की सता

suresh kumar guptasuresh kumar gupta March 4, 2023
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बीज की ताकत धरती पाटने में सक्षम है
खुली आँखों निहारा बीज में वॄक्ष किधर है

बीज में वृक्ष की सत्ता ब्रह्म में कई जगत है
चिन्मात्र परमात्मा अणु के अणु में छिपा है

जीवो की अन्तरात्मा में रहता वह एक है 
अन्तःकरण में ये नाना रूपो में दृष्टिगत है

मन ज्ञानेद्रियों से अगम्य शून्य आकाश है
परमात्म सता के अधीन स्फुरित होता है

देशकाल परे अजन्मा अद्वितीय निर्द्वंद है
मायातीत है जिसमे जगत की प्रतीति है

वो स्वतः सिद्ध सत्ता है वास्तविक सत्ता है
वह सूर्यो का सूर्य है वह स्वयं प्रकाशित है

आकाश ही घट घट में अलग भासता है
प्रलय में अविनाशी हृदय में प्रकाशित है

भुत भविष्यत वर्तमान समाहित होता है
कर्ता न भोक्ता है द्रष्टा दृश्य दर्शक एक है

संकल्प त्याग से चिद्दाकाश में दर्शन करते
आकाश सर्वात्मक मन इंद्रियों से अदृष्ट है

संकल्प से सम्पूर्ण जगत धारण करता है
कार्य कारण से परे वह एक सचिद्दानंद है

अज्ञानियो का सत्य ज्ञानियो का असत्य है
जगत में एक परमात्म की सता ही सत्य है

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