Share0 Bookmarks 44416 Reads0 Likes
बीज की ताकत धरती पाटने में सक्षम है
खुली आँखों निहारा बीज में वॄक्ष किधर है
बीज में वृक्ष की सत्ता ब्रह्म में कई जगत है
चिन्मात्र परमात्मा अणु के अणु में छिपा है
जीवो की अन्तरात्मा में रहता वह एक है
अन्तःकरण में ये नाना रूपो में दृष्टिगत है
मन ज्ञानेद्रियों से अगम्य शून्य आकाश है
परमात्म सता के अधीन स्फुरित होता है
देशकाल परे अजन्मा अद्वितीय निर्द्वंद है
मायातीत है जिसमे जगत की प्रतीति है
वो स्वतः सिद
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments