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सेना सहित राजा विश्राम का मन बनाता
राजा विश्वामित्र तब वशिष्ठ आश्रम आया
गाधिपुत्र प्रणाम कर ऋषि सानिध्य में बैठे
आशीर्वाद दे ऋषि आतिथ्य आग्रह करते
राजा विचारे कैसे सैना का आतिथ्य करे
आतिथ्य दुष्कर था जाने की आज्ञा मांगे
ऋषि आग्रह से राजन ने स्वीकार किया
ऋषि ने व्यवस्था नंदिनी गौ सुपुर्द किया
आतिथ्य पा प्रसन्न राजा विचार करते
नंदिनी गौ राज्य की धरोहर बनकर रहे
राजा संसाधन पर राज्याधिकार बताते
राजहठ बढ़ गई अनीति से गौ मांग रहे
प्रयास विफल था छिनने का मन करते
राजा बलात् गौ पकड़ने आदेश किया
नंदिनी से पराक्रमी योद्धा प्रकट होते
शीघ्र शत्रु सेना को परास्त कर दिया
पराजय वरण कर अध्यात्म को जाना
धर्म के आगे शासन नत मस्तक हुआ
पुत्र को राज सौंपकर वन गमन किया
कालांतर में सिद्धियां पाकर धन्य हुए
तपस्या के प्रभाव से ब्रह्म जान लिया
ब्राह्मणत्व पाकर क्षत्रिय से ब्रह्मर्षि हुए
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