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नोट पे धन की देवी रिद्धिसिद्धिदाता दिखे
उनके मोम डेड ब्रो को जगह मिलने लगे
काशी मथुरा न बचे अयोध्या की याद करे
जगह बचे विराट या तैतीस करोड़ देव छपे
असली हिन्दू क्या बोले ये आस्था से खेले
कसूर क्या घोड़े भागे जो खुला मैदान मिले
धर्म कितना विराट क्या बोले हम चुप भले
नोट तो ठीक जब मौजे पर छपे ये चुप रहे
धर्म से खिलवाड़ सरल है चिंगारी बहुत रहे
वोट की जरूरत रही कोई नोट बटोरते रहे
धर्म अखाड़े में छोड़ दर्शकदीर्घा से देख रहे
क्या फर्क पड़े वोट जीते नोट साथ ले चले
इस बहाने ही धर्म की राजनीति करते रहे
धर्म को भूलकर भी राजनीति में जीत रहें
नोट पर फ़ोटो से देश की किस्मत न बदले
धर्म की काट वे धर्म की तलवार से ढूंढ रहे
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