Share0 Bookmarks 31889 Reads0 Likes
निखट्टू था शौहर उसका
बेचारी किसको समझाए
चलाता है चाह की टपरी
नफा घाटा समझ न आए
बकरे की मां खेर मनाती
भेड़िया आया वो चिल्लाए
भलमनसाहत के बीच है
वे लौट जाते वो मुस्कराए
बीबी जब भी मांगे पैसा
वह खाली जेब दिखलाए
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments