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साथ में वे एक झोला ले आये थे
नेताजी जब हमारी गली आए थे
पहले भी नेताजी बोलकर गए थे
उनका क्या वे झोला उठा जाएंगे
उस झोले का मुख भी खोला था
नेताजी ने मुंह खोला जैसे बोला
प्रोजेक्ट जो झोले से फिसला था
नेताजी तब शिलान्यास कर बैठे
कौन उनका तिलिस्म जान पाता
जैसे आगे बढे मेट्रो निकल पड़ी
फिर एक एयरपोर्ट दिखने लगा
प्रोजेक्ट दोस्त के हवाले कर गए
जैसे ही झोले से कुछ फिसलता
खुशी से दर्शक ताली बजाते रहे
जल्द आएंगे झोला फिर लाएंगे
करना दुआ जल्दी चुनाव आएंगे
चुनावी सभा समाप्त होने आई
झोला उठाने का वक्त हो आया
नेताजी ने बिखरा माल उठाया
झोला कंधे पर लाद वे चल दिए
दर्शक ठगे ठगे से देखते रह जाए
नेता आश्वासन देकर चलते बनेंगे
जनता तो भरोसा करती जाएगी
नेताजी सब्जबाग दिखाते जाएंगे
जनता ठगी सी हेलीकॉप्टर देखती
फिर बादलो की ओर ताकते रहती
कब ये बादल बरसेंगे फसलें होगी
यहां भी खेत ख़लिहान भर जाएंगे
झोले का तिलिस्म बच्चे जान लेंगे
कभी उनके नसीब चमक जाएंगे
नेताजी तब मदारी बनकर आएंगे
खेल देखकर आनंद सब उठाएंगे
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