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संसद में हुड़दंग जमा सब और उठता शोर है
संसद आवारा हो रही लोकतंत्र बगले झांकता
कौन किसे समझाता लोकतंत्र सड़क पे आया
हर और आग लगी था कौन किसे बचा सका
बहती जनता सुनामी में आफते मुंह बांए खड़ी
नैतिकता सीमा तोड़ दे सागर सीमा तोड़ चला
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