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संसद में हुड़दंग जमा सब और उठता शोर है
संसद आवारा हो रही लोकतंत्र बगले झांकता
कौन किसे समझाता लोकतंत्र सड़क पे आया
हर और आग लगी था कौन किसे बचा सका
बहती जनता सुनामी में आफते मुंह बांए खड़ी
नैतिकता सीमा तोड़ दे सागर सीमा तोड़ चला
लोकतंत्र में कानून मंत्री सभापति कटघरे में है
कानून निर्माता खतरे में कानून कौन बना चला
लोकतंत्र पलट आए या लोकतंत्र की शाम हुई
आवाज जब दबने लगी शोर आवारा हो चला
जनता का जनता द्वारा जनता के लिए चलता
लोकतंत्र हाइजेक हो नेता नैतिकता लांघ चला
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