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नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान हो
पंसारी की तराजू में मोहब्बत का जहान हो
नफरत सस्ती रहेगी मोहब्बत महंगी बिकेगी
महंगाई अगर रहेगी तब कहाँ दुकान चलेगी
कौन नादान ये दुकान खोलने निकल रहा है
जब हर नुक्कड़ पर नफरत की दुकान होगी
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