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मेरे गांव की खुशबू

suresh kumar guptasuresh kumar gupta May 24, 2023
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वह परिंदों का कलरव वो मुर्गे की बांग।
सुबह चलती आटाचक्की वो मेरा गांव। 
फैली हुई है खुश्बू वह सुहावनी सुबह।
गांव पर धुंवे की चादर फैलाती साँझ।

शाम गायें लौटती तो रास्ते जाते रुक।
खुरों बनी डगर चले भैंस ऊंट के झुंड।
गर्मी में दाना पानी लेते पंछी के झुंड।
सांझ में कलरव करते पंछी लौटे नीड।

वर्षा की सौंधी सौंधी मिट्

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