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सिरफिरा एक्टिव था सारे पंछी उडा गया
संगी साथी बेबस हुए बहेलिया लूटा गया
पंछी उड़ चले सारी मेहनत जाया कर गया
धर्मधंधे पर चोट की मर्म पर चोट कर गया
वह कोई अहिंसक नही रोज पंछी पकड़ता
साथ और भी रोए बहेलिया आंसू बहा रहा
जो कमाया आखिर उसका नुकसान हुआ
रोजी रोटी सवाल में मर्म पर चोट कर गया
घूम घूम पंछी पकड़े चुराए कुछ लुट लिए
राह में जो भी आए उसके पंछी छीन गया
नीति अनीति पीछे छोड़ी आगे बढ़ता गया
बहेलिया फंसा कौन मर्म पर चोट कर गया
संगी साथी आंसू बहा सहानुभूति बता रहे
जिसके पीछे भागते वह पंछी हाथ से गया
नाजो से संभाला वो जाल मे सेंध कर गया
वो बाजी पलट गया मर्म पर चोट कर गया
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