मन सात आसमां पार's image
Poetry1 min read

मन सात आसमां पार

suresh kumar guptasuresh kumar gupta April 19, 2023
Share0 Bookmarks 16 Reads0 Likes

नया नया जोड़ा है नई सुलह नया प्यार
और इन्तजार गूंजे आंगन में किलकार

मुंह बाए खड़ी महंगाई या काम की मार
किसे खबर रहे होता नया नया खुमार

विसर्जन मिलन सर्जन सृष्टि का क्रम है
कौन छेद पाता है लम्हा तो आ जाता है

सर्जन था सृष्टि का लिए थे तोहफा हाथ
क्या खुशी थी मन में स्वसर्जन उपहार

माह भर बीता नही उसे भी जल्दी यार
गूंजी किलकारी मन सात आसमां पार

जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ
ध्येय एक लक्ष्य एक सपना है बुना हुआ

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts