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समस्याएं किधर संकल्प किधर है
आप चेहरे पर चेहरा बदलते रहे है
सवेरा न होगा मुर्गा ढांपकर सोचते
अंधेरा चीरकर उजाला फैल रहा है
छितराए पदचापो से गुमान होता है
आप कभी इधर कभी उधर चले है
अनिश्चितता की स्थिति में जी रहे है
आप रोज गोलपोस्ट बदलते रहै है
डरा धमका अपने करीब बुलाते है
हम दूर होते है आप प्यार जताते है
इधर खड़े रहते या उधर चले जाते
उहापोह में नक्की न कर पा रहे है
हम जो आपकी तरफ चले आते है
आप हमें मिटाने में दम लगा जाते है
लड़ाई अब हो गयी है अस्तित्व की
आप बचेंगे कैसे जो बदले जा रहे है
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