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मैं पीछे मुड़ मुड देखता चला।
न जाने राह में कहीं खो गया।
दूर तक पीछे पीछे चला गया।
ढूंढता पदचाप पद पद चला।
निकला झुरमुट से पास आया।
कहीं फिज़ाओ में खोता गया।
दूर दूर तक नजर घूमाता रहा।
लगन मेरी मैं उसके करीब था।
दूरी बनाए वो भी चलता रहा।
पकडूंगा बांह फैलाए मैं चला।
सपना मेरा अठखेलियाँ करता।
लगन मोहे लागी चलता चला।
#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित
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