खेलते रहे जल से's image
Poetry1 min read

खेलते रहे जल से

suresh kumar guptasuresh kumar gupta May 22, 2023
Share0 Bookmarks 30681 Reads0 Likes
प्राणिमात्र का जीवन आधार जल।
पेड़पौधे वनस्पति का जीवन जल।
हरीभरी धरती की शान रहे है वन।
खेलते रहे जल से क्या होगा कल।

प्रकृति ने मानव को बांटे संसाधन।
बेरहमी से क्यों बहा जाते है जल।
खो रही नदी खोते खेत खलियान।
कंक्रीट की दुनिया मे खो रहे वन।
 
अंधी दौड़ में है मानवता के दुश्मन।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts