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वह दशकों पुराना जमाना।
चिट्ठियों का आना जाना।
और वो मीठा मीठा प्यार।
होता डाकिए का इंतजार।
प्यार जताने में बरसों जाते।
चिट्ठी में यह नही बता पाते।
कोई प्यारा सा खत आए।
पल पल डाक देख आते।
सिलसिला प्यारे खतों का।
खुश कभी मायूस हो जाते।
अजीब ये प्यार का इजहार।
या रहा डाकिए का इंतजार।
#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित
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