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जीवन निकल गया रेत की तरह
आपस मे एक दूजे को समझाते
न वे कुछ समझा सके मुझको
न ही मैं उन्हें कुछ समझा पाया
बीच मे बनी थी कांच की दीवार
वे उस पार बैठे हम इस पार थे
जीवन का दर
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