
Share0 Bookmarks 0 Reads1 Likes
नन्हे नन्हे बच्चे है गर्मी की दुपहरिया
छूटते ही स्कूल से पहुंचे उस बगिया
मार्च का महीना लहलहाती कलियां
हरे पत्तों से झलक पड़ती थी अमिया
बचपन की मीठी याद वे कच्चे आम
चोरी-चोरी, चुपके-चुपके बचा नजर
डरते डरते घुसते लेकर मन मे खौफ
न झेलना पड़ जाए बागवान का रौब
नटखट स्वाद वह कैरी का चटखार
अलग मजा पेड़ से तोडे कच्चे आम
निशाना लगे शायद सटीक बेठ जाए
कहीं कच्ची केरी पेड़ से टपक जाए
बीनते कच्ची अमिया धोते नदी पर
छांव में बैठ खाते थे ले ले चटखारे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments