कच्ची अमिया's image
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नन्हे नन्हे बच्चे है गर्मी की दुपहरिया
छूटते ही स्कूल से पहुंचे उस बगिया

मार्च का महीना लहलहाती कलियां
हरे पत्तों से झलक पड़ती थी अमिया 

बचपन की मीठी याद वे कच्चे आम
चोरी-चोरी, चुपके-चुपके बचा नजर 

डरते डरते घुसते लेकर मन मे खौफ 
न झेलना पड़ जाए बागवान का रौब

नटखट स्वाद वह कैरी का चटखार
अलग मजा पेड़ से तोडे कच्चे आम

निशाना लगे शायद सटीक बेठ जाए
कहीं कच्ची केरी पेड़ से टपक जाए

बीनते कच्ची अमिया धोते नदी पर
 छांव में बैठ खाते थे ले ले चटखारे

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