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कफन लपेटे करीने से सजाए
यहां आहिस्ता से संभाल लाए
जिनके लिये जान रही निसार
कोई और नही अपने ही लाए
झांक कर देखा कब्र खुद रही
आश्चर्य फावड़ा था अपने हाथ
जीवनभर औरो के लिए खोदा
सत्य में वह था ही अपने लिए
काश यह समझ लेते वक्त पर
जीते जीवन थोड़ा अपने लिए
शाश्वत सत्य से था साक्षात्कार
पहली बार लगा केंद्र में मैं रहा
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