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दोस्त भाई था इसी गली का बस्ती का था
तेरे घर का सदस्य रहा सदा हमसफर था
कहाँ गलती मेरी थी या तू बेगैरत निकला
वक्त रंग बदले तू सभ्य से और सभ्य हुआ
मुर्गा बोला रोज सुबह सवेरे बांग लगाता
तुमको जगाता वक्त का अहसास कराता
फेंके जानेवाले कचरे से तो भूख मिटाता
गाहे बगाहे शहीद होता तेरी भूख मिटाता
बैल रहा तेरा तू भी प्यार से घर मे रखता
खेत जोतता तुम्हारे तुम्हे ढोकर ले जाता
मैं तेरा घोड़ा था तुझको सैर कराने जाता
दूर दराज इलाको में पल में पहुंचाता था
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