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साढ़े तीन इंच की जबान जब चले
पेट खराब करती रिश्ते बिगाड़ चले
छुरी क्या चलती दिल पर आरी चले
जब इस जबान से बोल निकल पड़े
आग बुझाए बुझे पर ये बुझती नही
खाये बिना चले कहे बिना चले नही
जबान से तीर निकले आग लग गई
माफी मांगते दिलो में दरार रह गई
विष बुझे बोल से तनमन जल उठे
रसना से रस टपके बोल सरस लगे
कमान से तीर जबान से बोल निकले
लाख करो उपाय फिर नही लौटते
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