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दिल बुझा सा चेहरे पर हवाइयां उड रही
दर्द का गुबार उठ रहा मुस्कराहट खो रही
अजीज बिछुडा कोई अपना सा खो गया
वर्षो से साथ रहा किसी भीड़ में खो गया
पडोस मे वर्माजी शर्माजी इतने बेजार है
गली मोहल्ले गांव शहर सब ही बेहाल है
यह हाल हुआ आज पोलिस सरकार का
जब तब आ जाता ये दिन अत्याचार का
इन्तिहा हुई बंद होने की दर्द है बढा हुआ
लबो पर एक शिकायत इंटरनेट बंद हुआ
नशा नही है भांग शराब ड्रग इस्तेमाल का
नशा हुआ है सबको इंटरनेट मोबाइल का
हर और उठती जाए अब एक आवाज़ है
माँबाप भाईबहन घर परिवार मोबाइल है
दुनिया की भीड़ में आज अकेला हो गया
भीड़भरी दुनिया में साथी मोबाइल हुआ
कुछ भी खो जाए बस इंटरनेट आबाद रहे
इस बिन जीवन सून नीरस बेजार हो रहा
#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित
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