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हॉल में चप्पू चलाते रहे

suresh kumar guptasuresh kumar gupta April 3, 2023
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सदा साथ दिया आरती घंटे बजाते रहे
आप न आए जब नाव आयी खतरे में
मौसम बदला आप नही उतरे मैदान में
आप बैठे रहे हॉल में चप्पू चलाते रहे

बड़े जतन से दिल मे घर बना डाला था
नाजो से जत्तनो से आपको पालते रहे
महल धराशायी हो जमीन दरकने लगी
आप हक़ीक़त में ख्वाब को देखते रहे

अपने ही अर्बन नक्सलो में जुड़ते गए
अपने पाले में कैसे वे लामबंद हो गए 
था स्वर्ण अवसर वतन मजबूत करते
अवतार खतरे में आप हॉल छोड़ आते

हम प्रैक्टिस करे वे मुकाबला जीत गए
आप साथ देते हाथ पीछे बांध खड़े रहे
घिरने लगी थी कश्ती आंधी तुफानो में
आप व्यस्त रहे हॉल में चप्पू चलाने में

हाल के बाहर निकल सड़क पर आते
एसी की हवा से बाहर तूफान में आते
लेते मजा बेरोजगारी महंगाई डॉलर का
इडियट बॉक्स के बाहर निकल आते

अगर आप ही जो सड़क पर न आएंगे
हम आठ हजार करोड़ में न उड़ पाएंगे
अगर हम विदेश के दौरे पर नही जाएंगे
कैसे जगह दिला देश विश्व गुरु बनाएंगे

अंदर बाहर की ताकते लामबंद हो रही
डूबने लगे तो तिनके का सहारा ढूंढ रहे
यह बिसात नही कोई कंप्यूटर गेम की
आते मैदान में हॉल से चप्पू चलाते रहे

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