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कालिख में अडिग है कोठरी में उजले होते।
सन्मान से भिड़ते गोली खाते गाली न खाते।
पानी हलक में अटका सवालों से न भागते।
गाली संतोष नही गोली खाते गाली न खाते।
दुश्मन बड़ा भी था जनता के हमराज होते।
लाल आंख दिखे गोली खाते गाली न खाते।
प्रशंसा पाने दौड़ते आत्मसन्मान पर मरते।
सन्मान दिखता गोली खाते गाली न खाते।
भ्रष्ट बेईमान से घिरे रहे किसे बचाने जाते।
विकास दिखता गोली खाते गाली न खाते।
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