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द्रोपदी की कसम

suresh kumar guptasuresh kumar gupta May 8, 2023
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अपने प्रयास में दुशासन नाकाम था
वह बाहुबली निरीह सा हुआ खड़ा 
दहाड़ उठी शेरनी सभा देखती रही
द्रोपदी के क्रोध का पारावार न रहा

दुष्ट तूने एक रानी को दासी समझा 
सत्ता में मदहोश तू होश ही खो बैठा
तेरे जीवन का अहंकार का अंजाम 
ये शासन के अंत का शंखनाद होगा

चुकाएगा कीमत बड़ी अपमान की
जिसे अपनो के लहू से धोना होगा
रक्तरंजित ये सिंहासन होकर रहेगा
नाम लेवा इस धरा पर न बचा होगा

तेरा वध निश्चित सभी मारे जाएंगे
सभा में पाप का भागी नही बचेगा
उठेगी ज्वाला तू नही रोक पाएगा
नारी अबला नही तेरा काल बनेगा

कसम खाकर आज सभा में कहती 
नारी वस्त्रों पर तूने हाथ जो डाला है
तूने यह बर्बादी की दास्तान लिखी 
अबला समझकर जमीर ललकारा है

अब केश खुले रहेंगे सज्जा न होगी
दुशासन के रक्त से केश श्रृंगार होगा
न हुआ कभी वह भीषण रण होगा
यह राज सिंहासन तेरा मरघट होगा

#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित

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