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Peace PoetryPoetry1 min read

डर डायन बनकर आ रहा है

suresh kumar guptasuresh kumar gupta March 11, 2023
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वर्षो पहले दफन किया जिंदा नजर आ रहा है

गमगीन माहौल दिल को चीर रही हर आहट है


हंसी खुशी के गुलदस्ते रहे क्यों आज वीराने है 

प्राण हलक में अटके डर डायन बन आ रहा है


साम्प्रदायिकता का राग ठंडा पडता जा रहा है

अंगारे राख में तब्दील हुए कमल मुरझा रहा है


न गालीगलौज न लडे जिंदा लोगो की रीत नही

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