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डर डायन बनकर आ रहा है

suresh kumar guptasuresh kumar gupta February 28, 2023
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वर्षो पहले दफनाया आज जिंदा नजर आता है
गमगीन माहौल दिल को चीर रही हर आहट है

हंसी खुशी के गुलदस्ते रहे क्यों आज वीराने है 
प्राण हलक में अटके डर डायन बन आ रहा है

साम्प्रदायिकता का राग ठंडा पडता जा रहा है
अंगारे राख में तब्दील हुए फूल मुरझा रहा है

मयंक की मद्धिम चांदनी में दिल घबरा रहा है
दिल पर हावी हो डर डायन बनकर आ रहा है

वक्त है आज लड़ पडो अदृश्य दुश्मन खड़ा है
वह कब टूट पडेगा अजीब खौफ का माहौल है 

न गालीगलौज न लडे जिंदा लोगो की रीत नही
परछाई से घबराते डर डायन बनकर आ रहा है

हर आहट पर कान लगाए चिरशांति छा रही है
डरना नही एकजुट रहना विश्वगुरु आगाह करे

कौन ताकत दे अर्बन नक्सल आउटसोर्स हुए 
हथियार हमसे ले डर डायन बनकर आ रहा है

हिंदुत्व की हवा दी हमने मगर उनमे डर कहां है
ट्रोल सैना थककर चूर हो गई अब सोने लगी है

पप्पू से घबराने लगे है आज पप्पू डराने लगा है
ये रात जागते बीते डर डायन बनकर आ रहा है

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