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चांद मेरी आगोश मे आएगा

suresh kumar guptasuresh kumar gupta May 21, 2023
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तमन्ना चांद छूने की वो आंख मिचौली खेलता
पेड़ के ऊपर से झांकता पेड़ की ओट से लगा
 
पेड़ की डाली पर चढ़कर उसको पकड़ पाऊँ
पेड़ पर चढ़कर भी देखा वो चार फुट दूर रहा
 
आया मेरी छत पर लगा वहां उसे पकड़ पाऊँ
चार फुट की दूरी मिटे उसे आगोश में ले आऊँ
 
समय फिसलता वो चिढ़ाता रहा मैं चढ़ता रहा
साहस कम न हुआ पर प्रयास कम पड़ता रहा
 
सोचा पाने से लक्ष्य सदा चार कदम दूर रहा है
छोड़ कैसे पाता जब लक्ष्य पास नजर आता है
 
पुरुषार्थ के आगे भाग्य कैसे पांव थाम पाएगा
दिन दूर नही जब चांद मेरी आगोश मे आएगा

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